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लोहिया संस्थान में युवक की संदिग्ध परिस्थिति में मौत:एल्युमिनियम का काम करता था, अचानक से अचेत होकर गिरा

लखनऊ के विभूतिखंड इलाके में संदिग्ध परिस्थितियों में एल्युमिनियम कारीगर की मौत हो गई। कारीगर खाना खाने के बाद बैठा तभी अचेत होकर गिर गया। उसके साथियों ने अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर शव परिजनों को सौंप दिया। हरदोई निवासी बाल किशन (42) एल्युमिनियम कारीगर थे। लखनऊ में अपने परिवार के साथ रहता था। बाल किशन एक महीने से लोहिया अस्पताल की छठी मंजिल पर एल्युमिनियम के दरवाजे और खिड़की लगाने का काम कर रहा था। मंगलवार रात करीब 8:30 बजे बाल किशन खाना खाने के बाद बैठा था। कुछ देर बाद अचानक से गिर गया। साथी कर्मचारियों ने उसे जमीन पर पड़ा देख पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने इलाज के अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मामले में पुलिस का कहना है कि शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने पर विधिक कार्रवाई की जा रही है।

तीन दोस्त, तीन सेनाएं और एक वार; ऑपरेशन सिंदूर से दहला पाकिस्तान

7 मई 2025 को भारत ने एक ऐसा ऑपरेशन अंजाम दिया, जिसने दुनिया को भारतीय सेना की ताकत और एकजुटता का एहसास करा दिया. पाकिस्तान में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत जोरदार एयर स्ट्राइक की. खास बात ये रही कि इस पूरे मिशन को भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना तीनों ने मिलकर अंजाम दिया. ये पहली बार है जब तीनों सेनाओं ने एक साथ मिलकर इस तरह की कार्रवाई की है.इस ऑपरेशन की एक और खास बात ये रही कि तीनों सेनाध्यक्ष एक ही बैच के बैचमेट रहे हैं. जी हां, एनडीए के 1984 बैच के ये साथी आज भारत की सेना का नेतृत्व कर रहे हैं और इसी दोस्ती को मिशन में बदलते हुए, तीनों ने मिलकर ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति बनाई और उसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया.लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी (थल सेनाध्यक्ष)मध्य प्रदेश के रीवा जिले से आने वाले उपेंद्र द्विवेदी ने सैनिक स्कूल रीवा से पढ़ाई की और 1984 में एनडीए से पासआउट हुए. वे जम्मू-कश्मीर राइफल्स की 18वीं बटालियन में कमीशन हुए और करीब 39 साल के सैन्य करियर में उन्होंने आतंकवाद और सीमा सुरक्षा से जुड़े कई ऑपरेशनों का हिस्सा रहे हैं.यह भी पढ़ें- CISF के DG की सैलरी कितनी होती है? 8वें वेतन आयोग के बाद कितनी बढ़ेगी, जानिए पूरी डिटेलएडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी (नौसेनाध्यक्ष)उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकलकर दिनेश त्रिपाठी भी सैनिक स्कूल रीवा से पढ़े और 1984 में एनडीए बैचमेट बने. उन्होंने भारतीय नौसेना में कई अहम जिम्मेदारियां निभाईं. नेवल वॉर कॉलेज अमेरिका से ट्रेनिंग ले चुके त्रिपाठी, रणनीतिक मामलों में गहरी पकड़ रखते हैं.एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह (वायुसेनाध्यक्ष)एक अनुभवी फाइटर पायलट अमर प्रीत सिंह ने मिग-21, सुखोई-30 जैसे फाइटर जेट उड़ाए हैं. वे टेस्ट पायलट और फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर भी रहे हैं. एयरफोर्स की रणनीति में उनकी अहम भूमिका रही है. एनडीए में उपेंद्र और दिनेश के साथ ही 1984 बैच में पढ़ाई की थी.यह भी पढ़ें- Operation Sindoor: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बढ़ी फाइटर पायलट बनने की चाहत, जानें कैसे बनें भारतीय वायुसेना के योद्धा

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