बिहार पुलिस कर रही ताबड़तोड़ छापेमारी, राजधानी में मचा हड़कंप रिपोर्टर: एशियन टाइम्स टीम | स्थान: पटना, बिहार राजधानी पटना में कारोबारी गोपाल खेमा की दिनदहाड़े हत्या ने न सिर्फ पुलिस-प्रशासन को हिला कर रख दिया है, बल्कि बिहार की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। हत्या के तीन दिन ... Read moreThe post बेऊर जेल में बंद गैंगस्टरों के इशारे पर कारोबारी गोपाल खेमा की हत्या! first appeared on AsianTimes.
सहारनपुर के नकुड़ में डीएम मनीष बंसल ने गंगोह नगर पालिका परिषद के तत्कालीन अधिशासी अधिकारी अनिल प्रसाद और तत्कालीन लिपिक संदीप सिंह के खिलाफ कूट रचना और धोखाधड़ी के आरोप में एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं। ये कार्रवाई गंगोह के मोहल्ला छत्ता में स्थित एक सरकारी भूमि को अवैध रूप से कब्जा कर फ्री होल्ड कराने और संबंधित पत्रावली को गायब करने के मामले में की गई है। गंगोह के मोहल्ला गुलाम औलिया निवासी सैय्यद बरासत अली ने 17 अक्टूबर 2024 को इस मामले की शिकायत मंडलायुक्त को सौंपी थी। शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि राजस्व ग्राम मजबता व खालसा अंदर हदूद के खसरा संख्या 7288, जो कि सड़क की भूमि है, उस पर एक व्यक्ति ईश्वर दयाल गोयल ने अवैध निर्माण कर कब्जा किया हुआ है। बरासत अली ने बताया कि उन्होंने पूर्व में अपर जिलाधिकारी (वित्त/राजस्व) को भी इस मामले में शिकायत दी थी। इस पर 17 फरवरी 2021 को ज्वाइंट मजिस्ट्रेट की ओर से दी गई रिपोर्ट में आरोपों की पुष्टि होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। शिकायत के आधार पर मंडलायुक्त ने सहारनपुर के डीएम को निर्देश दिए कि एक टीम गठित कर ये जांच की जाए कि निर्माण कब हुआ और जमीन को फ्री होल्ड कराने की प्रक्रिया में कौन-कौन अधिकारी शामिल रहे। डीएम द्वारा गठित समिति ने 6 जून 2025 को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके आधार पर डीएम ने 26 जून को आदेश जारी कर दिए। आदेश में कहा गया कि संबंधित भूमि पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ बेदखली की कार्रवाई की जाए और फ्री होल्ड की प्रक्रिया में अनियमितता की जांच हो। जांच में सामने आया कि फ्री होल्ड से संबंधित पूरी फाइल ही गायब है। डीएम ने आदेश में लिखा है कि फाइल का गायब होना इस बात को साबित करता है कि पूरी प्रक्रिया में कूट रचना और धोखाधड़ी की गई है। जांच रिपोर्ट और साक्ष्यों के आधार पर डीएम ने पाया कि तत्कालीन लिपिक संदीप सिंह अपने पद के दायित्वों के निर्वहन में गंभीर रूप से दोषी हैं। अधिशासी अधिकारी अनिल प्रसाद की भूमिका भी संदिग्ध रही है। इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए डीएम ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और भूमि से अवैध कब्जाधारियों को बेदखल करने के आदेश जारी कर दिए हैं।
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