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बचपन का तनाव दिमाग पर डालता है गहरा असर, नई रिसर्च ने लोगों को डराया!

Stress in Childhood Can Affect Brain: एक नए रिसर्च के मुताबिक, बचपन में झेले गए तनाव और कठिन अनुभव मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं. बचपन में होने वाले आघात के मस्तिष्क पर स्थायी प्रभाव हो सकते हैं. यहां तक की यह मानसिक विकारों की वजह भी बन सकते हैं. यह रिसर्च बताता है कि बचपन की मुश्किलें मस्तिष्क की संरचना और रोग प्रतिरोधक क्षमता में स्थायी बदलाव लाती हैं, जिससे अवसाद, बाइपोलर डिसऑर्डर और अन्य मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.इटली के मिलान के (IRCCS) ओस्पेडाले सैन रैफेल के वरिष्ठ रिसर्चकर्ता सारा पोलेटी ने बताया, “प्रतिरक्षा प्रणाली सिर्फ संक्रमण से नहीं लड़ती, बल्कि यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य को आकार देने में भी अहम भूमिका निभाती है.” उन्होंने कहा कि बचपन का तनाव इस प्रणाली को बदल देता है, जिससे दशकों बाद मानसिक बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. रिसर्च में उन खास सूजन संकेतकों (इन्फ्लेमेटरी मार्कर्स) की पहचान की गई है, जो बचपन के तनाव से जुड़े हैं.मूड डिसऑर्डर बीमारी और मृत्यु का प्रमुख कारण‘ब्रेन मेडिसिन’ जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च में मूड डिसऑर्डर (अवसाद समेत अन्य मानसिक विकार) के इलाज के लिए इम्यूनोमॉड्यूलेटरी एजेंट (इंटरल्यूकिन 2) के इस्तेमाल पर ध्यान दिया गया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मूड डिसऑर्डर दुनिया भर में अक्षमता, बीमारी और मृत्यु का प्रमुख कारण हैं. भविष्य में डिप्रेशन की स्थिति बने रहने की दर करीब 12 फीसदी और बाइपोलर डिसऑर्डर की 2 फीसदी तक रह सकती है.रिसर्च में पाया गया कि मूड डिसऑर्डर में प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ी, खासकर सूजन प्रतिक्रिया प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह गड़बड़ी इन विकारों का एक प्रमुख कारण बन सकती है. रिसर्च में पाया गया कि सूजन संकेतक (इन्फ्लेमेटरी मार्कर्स), जो बचपन के तनाव से जुड़े हैं, भविष्य में मानसिक बीमारियों के नए और बेहतर उपचार विकसित करने के लिए आधार बन सकते हैं. ये संकेतक डॉक्टरों को यह समझने में मदद करेंगे कि बीमारी का इलाज कैसे किया जाए.मानसिक बीमारियों के जोखिम को करे कम सारा पोलेटी का कहना है कि वह प्रतिरक्षा प्रणाली और पर्यावरण के बीच संबंधों को और समझना चाहती हैं. उनका लक्ष्य ऐसी रोकथाम रणनीतियां विकसित करना है, जो खासकर तनावग्रस्त बचपन वाले लोगों में मानसिक बीमारियों के जोखिम को कम करे. यह रिसर्च साइकैट्रिक केयर को समझने और रोकथाम पर केंद्रित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

Vastu Tips for Wealth: इन जगहों पर पैसा रखने वाला हो जाता है कंगाल, रूठकर हमेशा के लिए चली जाती है मां लक्ष्मी

Vastu Tips: आज हम आपको घर की कुछ ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आपको भूलकर भी पैसे नहीं रखने चाहिए. जब आप इन जगहों पर पैसे रखते हैं तो आपसे रूठकर मां लक्ष्मी हमेशा के लिए दूर चली जाती है.The post Vastu Tips for Wealth: इन जगहों पर पैसा रखने वाला हो जाता है कंगाल, रूठकर हमेशा के लिए चली जाती है मां लक्ष्मी appeared first on Prabhat Khabar.

सीएम ने बताए सोलर एनर्जी जनरेट करने के फायदे:जब तक जमीन सस्ती सोलर एनर्जी जनरेट करें, जमीन महंगी हो तो दूसरे प्रोजेक्ट ला सकते हैं

जिस जमीन का सिंचाई से संबंध नहीं हो या जमीन एक्स्ट्रा हो, ऊबड़-खाबड़, बंजर, डूब की जमीन हो, वहां सोलर एनर्जी जनरेट की जा सकती है। इस प्रोजेक्ट का फायदा यह है कि जब तक जमीन के दाम नहीं बढ़ते तो सोलर एनर्जी जनरेट कर सकते हैं और जमीन की कीमत बढ़ जाए तो उसका दूसरे काम में भी उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो भी योजना चला रहे हैं, उसके लिए खुलकर सहयोग देने का काम राज्य सरकार कर रही है। 2025 तक सभी शासकीय भवनों पर सोलर रूफटॉप लगाना है। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने ये बातें सूर्य-मित्र कृषि फीडर समिट में कही। उन्होंने कहा कि थर्मल के साथ विंड और सोलर एनर्जी ने प्रदेश के विकास में बड़ा योगदान दिया है। जब हमारे यहां सिंचाई का मौका आता है तो यूपी में जरूरत नहीं होती और जब यूपी को जरूरत होती है तो हमें जरूरत नहीं होती। इसलिए दोनों ही राज्य मिलकर इस तरह की परियोजना पर काम कर रहे हैं। ये राज्यों के बीच परस्पर संबंध को बढ़ाने का काम करते हैं। किसानों का बिजली बिल खत्म होगा, 32 लाख किसान आएंगे फायदे में उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे किसानों का बिजली बिल खत्म करने का काम करें। सब्सिडी में जो हजारों करोड़ रुपए खर्च होते हैं, उसका उपयोग प्रदेश के विकास में दूसरे कार्यों में होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में 32 लाख कनेक्शन देने का फैसला ऊर्जा विभाग ने किया है। यह लोगों को राहत देने का काम करेगा। अभी 30 लाख किसानों के पास स्थायी कनेक्शन हैं और दो लाख से अधिक किसानों के पास अस्थायी कनेक्शन हैं। लोग सब्सिडी लिए बगैर सोलर प्लांट लगाने को तैयार सीएम यादव ने कहा कि सोलर एनर्जी से दिल्ली की मेट्रो चल रही है। लोगों के घर रोशन हो रहे हैं। बिजली की बढ़ती खपत के लिए हमें एडवांस तैयारी करनी पड़ती है। अब तो निवेशक एक करोड़ 5 लाख की सब्सिडी के बजाय 85 लाख में निवेश करने का काम शुरू कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सोलर एनर्जी जनरेट करने का फायदा यह है कि सोलर प्लेट लगाने के बाद नीचे की जमीन का उपयोग अलग से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मोहासा में 22 इकाइयों का भूमिपूजन हुआ है। सांची पहली सोलर सिटी बनी है। 2025 तक सभी शासकीय भवनों पर सोलर रूफटॉप लगाना है। उन्होंने ओंकारेश्वर के फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट और रीवा के सोलर प्रोजेक्ट की सराहना की और कहा कि 15 गुना नवीकरणीय ऊर्जा बढ़ गई है। 9300 मेगावाट से अधिक से प्रोजेक्ट एमपी में चल रहे हैं। सब्सिडी बची तो दूसरे कामों में उपयोग होगी-तोमर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि सोलर एनर्जी से बिजली मिलेगी और प्रदूषण से मुक्ति भी मिलेगी। किसानों की आय दोगुनी करने के साथ मुख्यमंत्री ने इस नवाचार को बढ़ावा देने का काम किया है। निवेशकों के हितों का ध्यान सरकार रखेगी। सौर ऊर्जा से बिजली सस्ती मिलेगी। सोलर पम्प लगने से किसानों को रात में सिंचाई करने के बजाय दिन में ही सिंचाई करने का मौका मिलेगा और ठंड से बचेंगे। सरकार की सब्सिडी कम होगी जिसका उपयोग नौनिहालों के लिए स्कूल और अन्य प्रोजेक्ट पर खर्च होगा। यह समिट प्रदेश की दशा और दिशा बदलने का काम करेगी-राकेश शुक्ला नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने कहा कि इस सेक्टर में काम करके सरकार नए आयाम तैयार कर रही है। उन्होंने इन प्रोजेक्ट्स के लिए अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि अन्य राज्यों में 100 से 200 मेगावाट के निवेशक आ रहे हैं लेकिन हमारे प्रदेश में किसानों को निवेश के लिए बुलाया गया है। यही किसान बिजली उत्पादन कर प्रदेश की दशा और दिशा बदलने का काम करेंगे। एक मेगावाट में एक करोड़ 5 लाख की सब्सिडी भी दी जा रही है। बगैर सब्सिडी के भी निवेशक हमारे बीच आए हैं। एक्सपर्ट्स ने रखे विचार मंगलवार को कुशाभाऊ इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में छोटे निवेशकों और किसानों की सौर ऊर्जा उत्पादन में सहभागिता के लिये सूर्य मित्र कृषि फीडर योजना का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने समिट का शुभारंभ किया। समिट में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी मौजूद रहे। समिट में अलग-अलग सत्र हुए और एक्सपर्ट्स ने अपने विचार रखे। ऐसे चला कार्यक्रम सूर्य-मित्र कृषि फीडर की खास बातें

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