कृष्ण और कृष्णा— ये दोनों ही शब्द देखने में समान लगते हैं लेकिन इनके उच्चारण, प्रयोग और अर्थ के स्तर पर फर्क होता है. कृष्णा-कृष्णा कहते हुए हम भक्ति में डूब जाते हैं लेकिन क्या ये उच्चारण शुद्ध है? क्या भजन करते समय जाने अनजाने में कोई ऐसी गलती कर रहे हैं, जो भक्ति की भावनाओं को कमजोर कर सकती है? आइए विस्तार से समझते हैं कि दोनों में से कौन सा सही है और कब किसका उपयोग करना चाहिए.
कुछ साल पहले मैं नंबर वन था और खुश था। अब नंबर तीन हूं... और उतना ही खुश हूं। मैं इस सफर, खेल और जिंदगी का आनंद ले रहा हूं। मुझे उम्मीद है कि मैं ये सादगी कभी नहीं खो सकता क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो मैं अपने एक हिस्से को खो दूंगा। हालांकि मुझे लगता है कि समय के साथ कुछ चीजें पाना और खोना तय है। आपको दस साल बाद पता चलेगा कि आखिर हुआ क्या है।प्रेशर आपको जिंदा महसूस कराता है और बताता है कि आप किसी अहम चीज के लिए लड़ रहे हैं। मैं रैंकिंग और आंकड़ों पर जरूरत से ज्यादा ध्यान दे रहा था और अब मुझे लगता है कि यह गलत था। अब मैं समझ गया हूं कि मुझे बस खेलना है क्योंकि मुझे टेनिस से प्यार है। मुझे कोर्ट पर उतरना पसंद है, बढ़िया खेल पेश करना अच्छा लगता है। अब रैंकिंग या किसी और चीज के बारे में नहीं सोचना है। क्ले सीजन में, क्ले टूर्नामेंट्स में, मैं यही करने की कोशिश करूंगा... बस खेलना है।टैलेंट जरूरी है, लेकिन अगर मेहनत नहीं की तो टैलेंट कहीं नहीं ले जा सकता। मैंने कई साल तक कड़ी मेहनत की, अपने बचपन के कई सपनों और मस्ती की कुर्बानी दी ताकि प्रोफेशनल टेनिस खिलाड़ी बन सकूं। सफलता का एक ही राज है... हर मैदान में ऊर्जा के साथ जरूरी वक्त लगाना और अच्छे लोगों के साथ बड़ा होना। अगर आपके आसपास सही लोग हैं, तो बहुत मदद मिलती है और मैंने ये चीज अच्छी तरह की है। मैं प्रोफेशनल और अच्छे लोगों के साथ काम करता हूं, जो मुझे न सिर्फ बेहतर खिलाड़ी, बल्कि बेहतर इंसान बनने में मदद करते हैं। जब आप हारते हैं, या कोई ऐसा मैच हार जाते हैं जो आप दिल से जीतना चाहते थे, तो ऐसा लगता है जैसे किसी ने जोरदार प्रहार किया हो। लेकिन अपने दोस्तों और परिवार की मदद से मैं हमेशा खुद को कह पाया... ‘ठीक है, मैं अपना बचपन का सपना जी रहा हूं। गुस्सा करने की जरूरत नहीं, निराश होने का समय नहीं। आगे बढ़ते रहो और हर पल का आनंद लो।’ यही मेरी सोच है और इसमें मेरे परिवार और दोस्तों का रोल सबसे खास रहा है।मैंने हमेशा कहा है कि मैं इतिहास का सर्वश्रेष्ठ बनना चाहता हूं और ‘बिग थ्री’ की मेज पर बैठना चाहता हूं, लेकिन ये बड़ी बातें हैं, कोई जिद नहीं। मेरी इच्छा है कि बच्चे मुझे एक प्रेरणा के रूप में याद रखें। एक ऐसा इंसान जो अपने सबसे पसंदीदा काम को करते हुए खुश रहता था, मुस्कराता रहता था और दूसरों को भी आनंद देता था। अपने आदर्श को देखें, उनसे लगातार सीखें राफेल नडाल को मैंने हमेशा अपना आदर्श माना है। वे बहुत ही विनम्र व्यक्ति हैं। जब आप उनसे पहली बार मिलते हैं, तो वो बिल्कुल आम इंसान की तरह पेश आते हैं। मैच की तैयारी कैसे करते हैं, हर पॉइंट को किस जुनून के साथ खेलते हैं... ये सब मैंने उनसे सीखा। ये भी सीखा कि वो प्रेशर के हालात को कैसे संभालते हैं, किस तरह अपनी भावनाओं पर काबू रखते हैं। उनकी ये सब बातें मेरे पूरे करियर में मेरे काम आएंगी। अपने आदर्श का साथ आपको मिल जाए, तो इससे बड़ी बात हो ही नहीं सकती।(तमाम इंटरव्यूज में टेनिस खिलाड़ी कार्लोस अल्कारेज)
दक्षिण अफ्रीका ने शनिवार को यहां गत चैंपियल ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हरा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया।
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